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इंतेकाम - एक कविता। Revenge - A Poem

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 इंतेकाम  बोलो अब क्या करोगे  सोचो अब कहां भगोगे,  करलिए तुम बहुत जुल्म  अब हम इंतेकाम लेंगे! क्या सोचेथे  हम कुछ नहीं कर सकते?  जो मर्जी वह करोगे?  तुम सबका घरा भर गया है  अब हम इंतेकाम लेंगे! इंसान को इंसान ना समझे  लुटमारी, खून-खराबासे हमें डराते रहे!  अब कैसे डराओगे?  हम और नहीं डरेंगे,  क्योंकि हमें इंतकाम चाहिए!   क्या सोचे थे,  गुंडागिरी से राज करोगे? जो मर्जी वह करोगे? अब ना बचोगे तुम,  ना तुम्हारे गुंडे,  बहुत सहेलिए हम, और ना सहेंगे  क्योंकि, अब हमें इंतेक़ाम चाहिए। पढ़िए अगला कविता  पढ़िए पिछला कविता (इंसाफ)

इंसाफ - एक कविता। Justice - A Poem

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 इंसाफ  चार और एक ही आवाज  चाहिए इंसाफ! चाहिए इंसाफ!  मुंह बंद करने का कोशिश भी जारी है  पर हम ना रुकेंगे, हम ना रुकेंगे ! घोर पाप का कठोर इंसाफ  चाहिए हम सबको,  पपियोका जमीन खिसक जाए  रहमका बात अब ना सुनो! इंसान के नाम पर वह शैतान है,  हैवानियत उनका काम,  सारा संसार बह नष्ट कर देगा  अब चाहिए इंतकाम! छोड़ेंगे नहीं अब किसीको  सजा देंगे हर पापीको,  भागनेका कोई रह ना होगा  अब इंसाफ होगा, अब इंसाफ होगा ! हर लूट का चीज छीन लूंगा  छुपाए हो जितना पैसा  खरीदे हो जितना मकान,  रास्ते पर थे, अब रास्ते पर ही पटकुंगा  अब हम लेंगे पापियों का जान। पढ़िए अगला कविता (इंतेकाम) पढ़िए पिछला कविता (सब अपराधी)

सब अपराधी - एक कविता। All Culprits- A Poem

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 सब अपराधी  एक नहीं सब मिलकर किया  अपराध नहीं घोर पाप किया,  ईश्वर को बेआव्रु किया  इंसानियत का धैर्य तोड़ दिया ! एक खुशहाल जिंदगी तबाह किया  एक सुंदर सपना तोड़ दिया  एक विकसित परिवार नष्ट किया  पाप नहीं घोर पाप किया! पाप करने वाले और बचाने वाली  सब है अपराधी, सब है अपराधी! कोई एक का नहीं अब चाहिए हमें  सबका फैंसी, सबका फैंसी! कर लिए वह जितना करना था  अब हमें और सहना नहीं,  उन सबका मौत अब हमें चाहिए  रोक ना सकेंगे अब हमें कोई! मिटाने के लिए अब हम है तैयार  रुकेंगे मिटाकर ही, छोड़ेंगे ना अब हाम किसीको  सब है अपराधी, सब है अपराधी। पढ़िए अगला कविता (इंसाफ) पढ़िए पिछला कविता

अच्छा हुआ - एक कविता। Good Happened - A Poem

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 अच्छा हुआ जिंदगी जैसे दलदल में फंसी है  इससे बाहर निकलु तो कैसे, कोई रास्ता दिख नहीं रहा है  जो है वह मुमकिन नहीं है। कभी ना सोचा था ऐसा होगा  समय इतना बुरा आएगा, अब सहन नहीं होता,  पर कोशिश कर रहा हूं, खुश रहने का। दिन गुजरते हैं कैसे  यह मैं सिर्फ जानू,  हाल कितना बुरा  बताऊं तो किस बताऊं? इंसान तो सिर्फ देखने में इंसान है,  इंसानियत क्या है, उसे मालूम नहीं है! पर अच्छा हुआ,  यह दिन आया,  हर भयानक चेहरा सामने आया,  वरना आगे तो और बुरा होता  अगर असली चेहरा मुझे पता ना चलता। पढ़िये अगला कविता (सब अपराधी) पढ़िये पिछला कविता (सवाल)

सवाल - एक कविता। Question - A Poem

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 सवाल  क्या खुदा है ? अच्छे और बुरे कर्म का फैसला  वह क्या सचमुच करता है? बुरे कर्म का नतीजा कौन भुक्ता है ? करने वाले या सहने वाले? अच्छे काम का फल क्या होता है ? दुनिया कौन चलाता है? चारों ओर लटमारी  दुर्बल जिए तो कैसे? कौन देगा उन्हें सजा? क्या सजा हो सकता है इन सब का?  आखिर विश्व का क्या होगा? मैं कौन सा राह चुनु,  अच्छा या बुरा?  अभी तो बुराई अच्छा कहलाता है।  पैसे को दम पर।  तो वुरा काम और अच्छे काम में  क्या कोई अंतर नहीं है? और कितना दिन,  हमें सहना पड़ेगा?  अब सहन नहीं होता। कैसे करूं खुदापर भरोसा?  अभी तो अच्छे इंसान का,  कोई कदर नहीं, और बुरा काम करने वालों का  अच्छे से कट रहा है जिंदगी! एइसे बहुत सवाल  आज हर किसी के मन में है पूछु तो किस से, जवाब देगा कौन? पढ़िए अगला कविता (अच्छा हुआ) पढ़िए पिछला कविता(तलाश)

तलाश - एक कविता | Search - A Poem

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तलाश  दिल चाहता है कुछ बड़ा करु,  कुछ ऐसा,  जो मुझे इतना खुशी दे,  जिसके आगे काम पर जाए  पिछले सब साल गाम का! तलाश जारी है मेरा,  कभी ना कभी तो जरूर मिलेगा  बह राह,  जो ले जाएगा मुझे वह मंजिल तक  जिसके लिए मैं भटक रहा हूं अब तक ! इतिहास गवाह है,  ढूंढने से मंजिल तो क्या  खुदा भी मिल जाता है।  एक दिन मुझे भी मिलेगा वह रास्ता,  मेरा भी बनेगा एक महल खुशियों का! यह विश्वास ही तो है  जो मुझे सहने का ताकत देता है,  कहता है मुझे,  किसी पर नहीं खुद पर विश्वास रख  जरूर मिलेगा तुझे हर सुख! परिये अगले कविता (सवाल) परिये पिछले कविता(सहनशक्ति) ---------------------------------***---------------------

सहनशक्ति - एक कविता। Endurance - A Poem

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 सहनशक्ति कभी सोचाना तुझे यह मिलेगा,  अच्छेपन का ऐसा कीमत देना पड़ेगा, जिंदगी होगा नरक जैसा  पर सब कुछ तुझे सहना पड़ेगा  टुटता है तो वह लोग  जिनका क्या काबिलियत नहीं होता! तु अलग है, टुट मत  जारी रख तेरा मेहनत। यह दुनिया अलग है  क्योंकि, इसे इंसान ने बनाया है,  यहां पैसा ही सब कुछ है  पैसा के पिछे ही सब दौड़ते हैं  इंसानियत का कोई कीमत नहीं  भगवान भी यहां घूस लेता है!  तू गलत समय पर धरती पर आया  जानवरों को बीच इंसान बना,  तेरा कीमत वह क्या समझेगा  उन्हें तो सिर्फ चाहिए पैसा! सब कहता है समय के साथ चल  पर, मैं कहता हूं इंसानियत लेकर चल,  भले जमाना तेरा बुड़ा करें  रास्ता तेरा हो कांटे से भरे,  पर मिलेगा तुझे सुकून  जो नसीब नहीं होता है उन सबको,  जो बन ना सके इंसान।                                         Sushanto Basak   परिये अगले कविता(तलाश) परिये पिछले कविता ( कैसी आजादी) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

कैसी आजादी - एक कविता। What Freedom - A Poem

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कैसी आजादी खाया मार, छोरा चैन  गया जेल, दिया जान,  सहा बहुत अत्याचार,  पूरा देश में छाया हुआ था अंधकार  क्यों, वह सोचते थे आजादी हमारे लिए? क्या सब, जो करें कर सकते थे, ताकि आजादी हमें मिले? पर आज सोचता हूं मैं  कैसी आजादी वह चाहते थे? लूटमार वाली, भ्रष्टाचार वाली, दुर्बलों का शासन करने वाली! कैसी आजादी वह चाहते थे? यहां देश चलाने वालों की कोई नीति नहीं, देशवासी के भलाई का कोई सोच नहीं,  अपने में सब मौज रहे, हैं देश को हर पल खोखले करते रहे,  कैसे आजादी बहुत चाहते थे? अगर बड़ा सो चाहत के बिना  बड़ा त्याग नहीं होता,  तो, आज यह आजादी हाम देख रहे हैं  इससे उनका चाहत नहीं हो सकता! क्या आपको नहीं लगता? जो अभी देश चला रहे हैं  उसका ए हक नहीं? देश को लूटने वाले  इंसान तो छोड़ो,  जानवर कहलाने के भी लायक नहीं! तो डर छोड़ो, अब बोलो  बहुत हो गया, अब छोड़ो! चाहिए हमें वह आजादी  जिससे खुशहाल हो देशवासी के जिंदगी!                                        Sushanto Basak परिये अगले कविता ( सहनशक्ति) परिये पिछले कविता (नया साल) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Ins

नया साल - Happy New Year

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नया साल चारों और कुछ बदलाव है, मानो जैसा कुछ गजब का बात है,  बैंड- बाजा, शोर- शराबा  पटकाभी फोड़ डाला!  खुशी का एक चादर फैला है  क्योंकि नया साल आया है! पाल है यह खुशी से भरा,  मौज- मस्ती चारों ओर चल रहा , जो शामिल है, वह तो खुश है  पर जो शामिल नहीं, वह ज्यादा खुश है। पर चौकाने वाला बात तो यह है  जो नहीं समझता, यह सब क्यों  वह भी खुश है।  हां भाई सब खुश है,  इस नए साल में कुछ तो बात है! हर दिल में है चाह, हर दिल में है विश्वास  अब आएगा वह पाल  मिलेगा वह खुशी  जो था मेरा ख्वाब, अब बदलेगा मेरा जिंदगी!                                      Sushanto Basak  परिये अगले कविता(कैसी आजादी) परिये पिछले कविता(बच्चे) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

बच्चे - एक कविता। Child - A Poem

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 बच्चे मैंने सुनाथा, बच्चे  अकलसे नासमझ होता है,  तो वह जानबूझकर इतना  शैतानी कैसे करते हैं!  दिमाग मत लगाओ यारों  शर घूम जाएगा,  एक बच्चेके साथ एक दिन खेल लो  सब समझ आजाएगा! वह दिलका सच जरूर होता है  मगर शैतानिमें सबको पीछे छोड़ता है, मगर अंतर है उसका और हमारा बदमाशी में, उन सबका देता है खुशियां  हमारा लाता है गम, इसलिए तो कहताहूं यारों  यह बच्चे किसीसे नहीं होता कम! एनर्जी का पावर हाउस  सोचमें उस्ताद, मन अगर बनाले किसी चीजका देना जरुर तुम्हें पड़ेगा, वरना.. दिला देगा तुम्हारे नानी याद! समझो मत उन्हें कम,   हो सकता है वह छोटे  एक दिन वही बनेगा  इस जग में राज करने वाले! ख्याल रखो उसका अच्छे से  सच्चा इंसान बनाओ,  वही है हमारा आने वाला कल  अपना कर्तव्य तुम जरूर करो! परिये अगले कविता (कैसे आजादी) परिये पिछले कविता (विमारी) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

बीमारी - एक कविता। Disease - A Poem

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  बीमारी सब लोग हैं परेशान  हर घर में है इसका निशान,  दवाखाना, हस्पाताल अगर हो कर आओ  तो पता चलेगा,  यह नहीं होने देता है जिंदगी आसान।  सुस्त इंसान रहे कैसे,  कुछ भी तो नहीं मिलता आज  जिसे कह सकू अच्छे।  खाने का हर चीज  आज है जहर से भरा,  क्या खाओगे तुम?  ना खाके रहोगे कैसे तुम?  खानेसे होता है बीमारी  नहीं खाओगे तो मरोगी भुखमरी! शुभे उठने से लेकर  रात को सोने जाने तक,  यहां की उसके बाद भी  हम सब तकनीकी चीज से गिरे है,   जो हमें थोड़ीसी राहत देता है मगर  करता है कम हमारा उमर।  लता है एक से बढ़कर एक बीमारी  जो करता है दर्दनाक जिंदगी हमारी। परिये अगले कविता (बच्चे) परिये पिछले कविता (पूजा) My Utube Channel My Facebook Page Twitter   Explurger LinkedIn Pinterest   Instagram  

पूजा - एक कविता। Offering - A Poem

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 पूजा कर्म ही धर्म है, धर्म एक कर्म  पर दूसरोंको दुख देने वाले काम  ना कर्म , ना धर्म।  सव ए जानताहै,  बताओगे तुम किसे, ए गजबका समय है यारों  सब लगेहैं पैसे का खेल में। पैसा चाहिए ज्यादा, और ज्यादा! पैसा काम कैसे हो, नहीं परवाह, राजी है सब करने में  सिर्फ बताओ पयसा कितना मिलेंगे,  यही है दिल का वात सवका  क्या फर्क परता,  अगर पैसेके लिए हो बुरा किसीका! जब सोचना चाहिए, तब सोचेंगे नहीं   बादमें पछताना पड़े तो भी सही,  अकलके मारे नहीं, अकल है  पर पैसेके चाहत में धीरे हुए हैं  जब आते हैं प्रायश्चित का समय  कितना कुछ करतेहे, पूजा करतेहे, मन्नत मांगतेहे पर काम किसीसे भी नहीं होता  क्योंकि,  बुड़ा काम का अंजाम भुगतना पड़ताहे। परिये अगले कविता (विमारी) परिये पिछले कविता (रास्ता)

रास्ता - एक कविता। Way - A Poem

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 रास्ता ढूंढने से जरूर मिलता वह रास्ता सही  मैं तो निकल पड़ाथा ढूंढने उसे, कभी  ना जाने मिलेगा वह कब  होगा पूरा कब मेरा ख्वाब,  बन पाऊंगा क्या मैं कभी  इस जन्म मैं पाऊंगा क्या बह जिंदगी? आशा तो है बनुंगा जरूर  कुछ ना कुछ तो मैं करूंगा जरूर  साथमें जब खुदा है,  रास्ता तो मुझे मिलना ही है।  कर्म पर विश्वास है, किस्मत में नहीं  कुछ ना कुछ मैं जरूर करूंगा  शांत रहूंगा मैं नहीं।  कर्म का फल सबको मिलता है  मुझे मिलेगा क्यों नहीं। मिलेगा एक दिन वह रास्ता  उठेगा एक दिन जरूर वह सूरज  खिलेगा एक दिन वह फूल  जब मुझे वह सब मिलेगा  जो है ख्वाब आज। परिये अगले कविता (पूजा) परिये पिछले कविता (बिजली)

बिजली- एक कविता। Electricity - A Poem

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 बिजली दिखती नहीं पर होती है  वहुत जगाह एक साथ जाती है  करती कुछ नहीं पर,  बहुत कुछ करने के लिए सहायता करती है  जाने से मायूसी छा जाते हैं। आज दुनिया चल नहीं सकता  इसके बिन,  खुशियां जैसे घूम ही हो जाता है  इसके बिन, रातमें कुछ दिखता नहीं  इसके बिन,  टेक्नोलॉजी कुछ काम की नहीं  इसके बिन। उनसे पूछो जिसको कोई प्रिंट करना है  और ए नहीं रहता, उनसे पूछो जिसका मोबाइल चार्ज करना है  और यह नहीं रहता,  उनसे पूछो जिसको मशीन का कुछ काम है  और यह नहीं रहता,  वह सब बताएगा तुम्हें इसका नाम,  मैं मुहावरा बताया,  ढूंढना अब तुम्हारा काम! परिये अगले कविता (रास्ता) परिये पिछले कविता (बदलता जिंदगी)

बदलता जिंदगी - एक कविता। Changing Life - A Poem

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बदलता जिंदगी सोचलिया बहुत अब काम करना है  जो मौकाम सोचाथा वह हासिल करना है, इतने सालमें जो सीखा  बह सबका सिखाना है, ताकि दूसरों के भी भलाहो‌ मेरे साथमे। परेशानी सबका है, सब इससे जूझ रहेहैं  निकलना चाहता है सब, पर रास्ता नहीं दिख रहेहैं, आए आप सीखे, कुछ सहलाले अपनोसे ताकि तकलीफे दूर हो, जिंदगी होजाए अच्छे। सहेलियां अब बहुत  और नहीं सहना,  थोड़ा खुदको बेहतर बनानेके लिए खर्च करे  क्योंकि अब मौकामहै हासिल करना। इतने दिन कैसे जिये, सिर्फ मुझे पता  अब मैं लिखूंगा मेरे नसीब जैसे मैं चाहता,  इस बदलनेकी दौड़ में आए जितना कठिनाई  तोड़ सकेंगा ना मुझे, झुका सकेगा ना मुझे  क्योंकि बदलना है मुझे अपना जिंदगी परिये अगले कविता (विजली) परिये पिछले कविता (राजनीति)

राजनीति - कविता। Politics - Poem

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 राजनीति निकला सव लेके सपथ करने सुधार देश, करेंगें सव काम साथ साथ ताकि देशवासी रहे खुश। पर यव आये मैका टेश सुधारने का भुलगया सव वादा, पयसेका चाहमे डुवके, आपना जेव भरने लगा।  दिल में ना कयि सच्चाई, ना कयि नीति एहि सव लोग करते हे राजनीति। कहां है वह समय, वैसा नेता कहा हे, जो आपने चाह भुलाके, देशवासी के वारे में सोचतेथे। वहथा समय,  यव भरोसा करते थे टेशवासी, देश के भालाइका रास्ता है राजनीति। आज ना वैसा नेता हैं ना वैसी राजनीति, नेता सव लुटनेमे लगेंहे, दुर्नीति के दुसरे नाम हुया राजनीति। अच्छे इन्सानका कदर नहीं, भलाइका जमाना नहीं, आज जिनसवका दिल साफ नहीं,   राजनीति करतेहे वहीं। परिये अगले कविता (बदलता जिंदगी) परिये पिछले कविता (बातें)

बातें - कविता। Conversation - A Poem

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 बातें जिंदगीने पूछा मुझे,  बोल तुझे क्या चाहिए!  मैंने बोला,  थोड़ा सुकून, थोड़ा चैन, थोड़ा खुशी, सुनकर जिंदगीने बोला, जन्मेहो इंसान बनकर,  खुदा बाला चाहत नाख, संसार दुखसे घिरा हुआहै  मिलेगा तुम्हें कहांसे सुख!  मैंने बोला, खुदा आगर हमारा पालनहार है  तो, सबका ख्याल रखना  उसका करतव्य है,  हमें वह अगर सुख ना दे सकता  तो, सुख उसे कैसे नसीब हो रहे हैं? इसे सुनकर जिंदगी बोला,  यही तो अंतर है इंसान और खुदामें, वह खुदा है इसलिए खुश नहीं है, वह खुश है इसलिए वह खुदा कहलाता है! परिये अगले कविता (राजनीति) परिये पिछले कविता (फुटबॉल)

फुटबॉल - एक कविता। Football - A Poem

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 फुटबॉल खेलतो बहुत सारा है  पर, तुम्हारा जैसा कोई नहीं  खेलनातो सब जानते हैं  पर, जिसमें हिम्मत और बुद्धि है  फुटबॉलमे जीत्ताहै वही! तुमतो हो खेलोंके सान  जितना वक्त चलतेहो  सिर्फ खिलाड़ियोंको नहीं  देखनेवालोंकोभी खेल सिखातेहो!  सबके अंदर ज्बालातेहो आंग, हिम्मतका  और, आखरीमें समझातेहो,  यह खेल नहीं डरने वालोंका। हिम्मत एक आकरा है  तो, कौशल दूसरा,  इसके साथ अगर गति मिल जाए  तो, उसका कोई कर ना सके मुकाबला! फुटबॉलमें मजाही कुछ और है  क्योंकि, असली खिलाड़ी रहताहै  मैदान के बाहरमें!  खिलाड़ी तो सिर्फ मोहरा है  उन्हें अंजाम देता होताहै!  दिमाग तो बाहर चलताहै, उसे पताहै कब, क्या करनाहै!  यह मेलबंधन दिमाग और हिम्मतका यहीतो मजाहै, फुटबॉल खेलने और देखनेका!  परिये अगले कविता (बातें) परिये पिछले कविता (हल)

हल - हिंदी कविता। Solution - A Hindi Poem

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हल एक कहावत है  मेहनतका फल और समस्या का हल  देर सही पर मिलता जरूर है वह, धीरज रखना है! समय कभी एक जैसा नहीं होता  समस्या कितनाभी जटिल हो एकदिन हल जरूर निकलता! जिंदगी खुशियों भरा नहीं होता  होनाभी नहीं चाहिए  अगर नहीं होगा समस्यासे मुकाबला  तो आगे कैसे वरोगे? कठिनाई आती है जीना सिखाने, तुम्हें सिर्फ धीरजसे काम करनाहै  हौसला कभी ना हारो  और, हल्का तलाश जारी रखो! कहतेहैं ढूंढनेसे भगवानभी मिलताहै  तो, हल क्यों नहीं मिलेगा? दिल से काम करते जाओ  तलाशभी जारी रखो,  वह समय जरूर आएगा,  तुम्हारा समस्याका हल जरूर मिलेगा! परिये अगले कविता (फुटबॉल) परिये पिछले कविता (रुपिया)

रुपिया - एक कविता। Money - A Poem

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 रुपिया रोटी, कपड़ा और मकान  जिनेके लिए चाहिए यह तिन,  पर इंसानको और चाहिए  इसके लिए, वह  कुछभी करने के लिए तैयार है! आदर्श, नीति यह तो पुरानी बात अभी तो सबकुछ बिकता है  सिर्फ देने पड़ेगा अच्छा कीमत, रुपया है, तो मिलेगा सव!  कहांसे आया रुपया,  कोई नहीं मांगेगा हिसाब!  व्यापारियों का दुनिया है, हर कोई व्यापार में लगा हुआ है  कोई खरीदते, तो कोई वेजते है,  पर, मुनाफा सबको चाहिए! एक कहावत है  समय के साथ चलना चाहिए  अब सोचके देखो,  अगर सब कोई रुपयाके पीछे भागनेलगे  तो नतीजा क्या होगा,  देश आगे बढ़ेगा? परिये अगले कविता (हल) परिये पिछले कविता (संदेश )