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पैसा - एक कविता। Money - A Poem

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 पैसा  पैसा पैसा लता है  बात तो है यह सच्चा,  पर पैसा आएगा कैसे  अगर नहीं रहे पैसा! भागो मत पैसे के पीछे  इससे कोई फायदा ना होगा,  अपनालो अच्छे आदत  पैसा तुम्हारा पीछे आएगा! हर दिन दो कुछ वक्त  अपने आप को।  हर पल पूछो अपने आप से  क्या तुम आगे से बेहतर हो? अगर नहीं हो  तो बेहतर बनो,  अगर हो  तो और बेहतर बनने का कोशिश करो!   अच्छे आदत से तुम  इतना बेहतर बनोगे एक दिन,  तुम्हारा हर कदम  बनाएगा इतिहास,  तब पैसेका होगा बारिश  पूरा होगा तेरा हर ख्वाहिश! पढ़िए अगला कविता  पढ़िए पिछला कविता (सहनशीलता)

सहनशीलता - एक कविता। Endurance - A Poem

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सहनशीलता   जीवन है अंधेरे से भड़ा  बुरा नहीं अच्छे कर्म के लिए,  रोश्नीके तलाश जारी रख  पर सच्चा राह ना छोड़। अच्छे इंसानके तकलीफ ज्यादा, सच्चे राह में घाव ज्यादा,  पर बुरा वक्त जरूर डालता है  उसके बाद जो आता है  वह हर दर्द भुला देता है! बुरा वक्त आता है कुछ सीखानेके लिए  उससे सीख, डर मत  जब वह जाएगा तब तुम समझोगे  तुम बहुतसे आगे निकल चुकेहो,  क्योंकि तुम बुरा वक्त झेलेहो! इसलिए दर्द से सिख, समझ  क्यों आया, क्या होगा, कैसे निकाले  पर डर मत, रुक मत!  सह और काम करते जा  अच्छे दिनका सूरज जरूर निकलेगा।   और जब वह निकलेगा  तुम हर वह चीज पाओगे  जो तुम्हारे ख्वाब था।  पढ़िए अगला कविता (पैसा) पढ़िए पिछला कविता (डर)

डर - एक कविता। Fear - A Poem

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  डर गलती तो होता है इसके मारे  गलती से सीखो,  डर आता है सबके जिंदगी में,  इसे झेलना सीखो! रास्ता हो अगर खुशी से भड़ा  चलनेका मजा नहीं आता, जिंदगीमें अगर डर ना हो  तो आगे बड़ा नहीं जा सकता। मगर डर के मारे कुछ करना  और डर को समझकर कुछ करना  इन दोनों में है अंतर;  डर के मारे कुछ करोगे तो  पछताओगे जीवन भर,  और डर को समझकर कुछ करोगे तो  बन जाओगे एक दिन सिकंदर!   तो समझो डर को, डरो मत  समझकर काम करो  नादान बनो मत।  हौसला और हिम्मत साथ रखो  खुद पर भरोसा करो,  आज जितना खराब हो  काल अच्छा होगा,  जो सोचेहो, वह जरूर मिलेगा। पढ़िए अगला कविता (सहनशीलता) पढ़िए पिछला कविता (तकलीफ)

तकलीफ - एक कविता। Pain - A Poem

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  तकलीफ   जितना सहोगे उतना मिलेगा  कुछभी बेकार नहीं जाता,   आज तकलीफ है तो कल खुशी मिलेगा  पर आज तुम्हें सहना पड़ेगा! तकलीफ लेकर आता है खुशी का पैगाम  पर हम सिर्फ देखते हैं गम, गम ही नहीं सहोगे तो  खुशी कैसे मिलेगा,  खुशी गमके बगैर नहीं रहता।   अगली बार अगर गम आए  तो समझ लेना कुछ अच्छा होने वाला है, गम लेकर आया है वह पैगाम  होने वाला है अच्छा इसका अंजाम।   कहावत है, "जो पत्थर  छेनी-हातुरी के दर्द नहीं सह सकता  वह कभी मूरत नहीं बन सकता"। हमारा जिंदगी भी ऐसा है  हमें अगर तकलीफसे डर लगे  तो हम नहीं बढ़ सकते आगे। इसलिए हिम्मत से तकलीफ झेलो,  इससे प्यार करो, याद रखो आज जितना तकलीफ झेलोंगे  कल उतना ज्यादा खुशी पाओगे। पढ़िए अगला कविता (डर) पढ़िए पिछला कविता (भगवान)

भगवान - एक कविता। God - A Poem

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  भगवान   सब कहते हैं भगवान हमारा बाप है,  वही है जो हमें बनाया है,  तो मानो उसे दिल से  मानते हो क्यों डर से! कभी सुना है, कोई कहते हैं अपने बाप से, ए करदो मैं वह दूंगा? यहां ही खत्म नहीं, बहुत है-  भगवान गुस्सा हो गया तो  विनाश कर देगा!  क्या कोई षाप ऐसा करेगा?  भगवानका प्रकोप लगा है  पूजा करना पड़ेगा!  पूजा करके बापको संतुष्ट करना पड़ता है!  और है! और है! अब सुनो मेरे बात,  अगर वह सब सच है  तो वह भगवान हमें बनाया नहीं है,  क्योंकि बनाने वाला का जिम्मेदारी होता है  अपने सृष्टि को अच्छेसे रखनेका।  भगवान कभी गैर जिम्मेदार नहीं हो सकता! इसलिए भगवान से डरो मत  वह है हमारा रखवाला,  यह तो है कुछ भ्रष्टाचार व्यापारी  जो भगवानका नामका डर फैलाया। पढ़िए अगला कविता (तकलीफ) पढ़िए पिछला कविता (दिमाग का खेल)

दिमाग का खेल - एक कविता। Mind Game - A Poem

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  दिमाग का खेल   खेल है यह पैसे का  नहीं है ए सबका बसका,  पर सबको है ए खेलना,  पर कुछ दिन बाद समझ आता है  नहीं है यह सबका बसका! यह तो है गजबका खेल  शक्तिका कोई जरूरत नहीं,  दिलका तो सुनोही मत  इन दोनों से इसका कोई वास्ता नहीं। ए खेलना होगा दिमागसे, दिमाग नहीं तो छोड़दो,  नहीं है ए तेरा बसके।  अच्छासे खेलोगे तो मिलेगा पैसा  बन जाओगे तुम बादशा,  पैसेका कोई कमी नहीं रहेगा,  हर चाहत तेरा पूरा होगा  पर याद रखो हर बार जीत नहीं होगा! दिमागसे खेलना, दिलसे नहीं  दिलसे इसका कोई वास्ता नहीं, समझ लिया इसे तो तुम तैयार हो  मैदान में अब उतर सकते हो। पढ़िए अगला कविता (भगवान) पढ़िए पिछला कविता (नियत)

नियत - एक कविता। Brain - A Poem

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  नियत सब रहता है एक जगह में,  दिन-रात भी एक ही है,  फिर क्यों कोई अच्छा  और कोई बुड़ा राह लेताहै? सब अगर है खुदाके बनाए,  तो एक जैसे सब क्यों नहीं है?  कुछ को सब शहराता है,  और कुछ को क्यों कोसता है? एक घर में पले जब दो,  तो एक अच्छा और दूसरा क्यों बुरा होता है?  एक ही शिक्षा अगर मिले दोनों को, तो अलग काम क्यों करता है? उत्तर सरल है, सिर्फ सोचना पड़ेगा  धरतीके दो पेड़ क्यों आम और अखरोट होता!,  पेड़ का बीज और इंसान का नियत  एक से दूसरे को अलग बनाता! पेर का मजबूरी है  बह बीज नहीं बदल सकता  पर तुम तो इंसान हो  आबतो बदलो अपने नियत को। पढ़िए अगला कविता (दिमाग का खेल) पढ़िए पिछला कविता (दिमाग)

दिमाग - एक कविता। Brain - A Poem

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  दिमाग   कहते हैं सब कोई दिमाग का कोई मुकाबला नहीं, जब मानने का बाड़ी आया ह सीधा सच भूल गया।  इसलिए कुछ खुश होते हैं  सब नहीं,  ज्यादातर इस बात को समझा ही नहीं। शरीर सीमित है  यह स्थान-काल-पात्र में सीमित है,   पर दिमाग है बादशाह  कोई उसे रोक नहीं सकता।  इसका महत्व को समझो  और शरीर कम दिमाग ज्यादा लगाओ। अगर अच्छे से इस्तेमाल किया  तो मिलेगा तुम्हें वह सब जो तुम्हें चाहिए,  इसलिए शरीर के साथ-साथ  दिमागको भी समय दो, मजबूत बनाअ।   यह संसार चलाता है दिमाग  परखो अच्छा तराह से, जो इस्तेमाल किया दिमाग  वह आगे बड़ा,  बाकी सब रह गया पहले जैसे। पढ़िए अगला कविता (नियत) पढ़िए पिछला कविता (वचपन)

बचपन - एक कविता। Childhood - A Poem

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बचपन   कभी-कभी सोचता हूं मैं  अभी अच्छा हूं,  या बचपन में अच्छा था? बचपन में मांग छोटा था  पर उसे हासिल नहीं कर सकता,  अब मांग बड़ा है  एभी औकात से बाहर है। पर बचपन में खुशी था जिंदगी  जो आज नहीं है।   बचपन में दिल टूटने का कोई  अवसर नहीं था,  सिर्फ अच्छा और बुरा था,  पर आज हर पल दिल टूटता है  चारों ओर सिर्फ हे बुराई।  बचपन में कुछ करता था दिल से  आज करता हूं मजबूरी में, असली खुशी कब खोगया  बचपनमें जो हमेशा रहता था।   जाना है मुझे फिरसे बचपन में  नहीं रहना है आज में,  बह पल लौटादो मुझे  जब मैं रहता था खुश, अपने तराह  नहीं रहना चाहता हूं मैं होके बड़ा।  पढ़िए अगला कविता (दिमाग) पढ़िए पिछला कविता (मतदान)

मतदान - एक कविता। Vote - A Poem

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मतदान   किस लिए यह सब, किस लिए!  एक से डेढ़ घंटा लाइन पर रहके  करते हो मतदान!  पता तो है,  जो आते हैं मांगने वोट  वह सब नहीं है इंसान ! तो किस लिए, क्यों जाते हो?  जानवरों को क्षमता देने का भूल  क्यों करते हो?  वह सब चाहते हैं लूटने  तुम्हें, तुम्हारा देश को, मत वोट दो इस जानवरों को! पहले पूछो, क्यों?  इतना दिन क्या किया?  जीत के क्या करोगे? कितना रुपया खर्च किया, और कितना लूटोगे? लो हिसाब अच्छे से, उसके बाद जो मतदान करने!   मत चुनो ऐसे नेता  जिनका राजनीति के अलावा कोई काम नहीं,  और एक बार जिसे चुनेहो  दोबारा उसे चुनना नहीं।  पढ़िए अगला कविता (वचपन) पढ़िए पिछला कविता (नया शुरुआत)

नया शुरुआत - एक कविता। New Beginning - A Poem

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 नया शुरुआत   तय कियाहूं, करूंगा नया शुरुआत  नया जगह, नया लोग  नया सुबह और रात, नया तरीका से पुराना जैसा  रहनेका - एक नयाशुरुआत। ना होगा वहां कोई अपने  जिससे याद आएगा पुराना बात, ना रहेगा कोई नफरत मन में  जो रहता है हर वक्त मेरे साथ।   ना रहना इस जगह में मुझे  जहां रहता है बुड़ा लोग,  काम ना करके जिसका काम होता है  दूसरोंको अच्छा रख। तय किया हूं अब जाऊंगा दूर  नया एक जगह,  जहां मिलेगा लोग नए  पर, दिल का रिश्ता किसी से नहीं,  रहूंगा अपना मर्जी से  कोई पुराना याद नहीं। पड़िए अगला कविता (मतदान) पड़िए पिछला कविता (परिणाम)

परिणाम - एक कविता। Result - A Poem

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  परिणाम   कर लिया बहुत कुकर्म  सहेलियां, सबको जितना सहना था,  अब होगा फैसला  तैयार हो जाओ भुगतने परिणाम।   लूट तूने बहुत  भगवान को भी नहीं छोड़ा,  पाप का घर तेरा भर गया है  आ गया है समय परिणाम भुगतने का।   भूल गयाथा तू इतिहास को  हर काम का कीमत चुकाना पड़ता है, अब क्या करोगे जान के  यह तो अब तेरा साथ होना है। समयका चक्का ऐसा ही होता है  शक्तिशाली शक्तिहीन हो जाता है,  और, लाचार महाबलशाली,  इसलिए याद रखो इस बात को  शक्तिको अच्छे काम में लगाना,  और बुड़ा काम से दूर रहना,  वरना समय कभी रुकता नहीं  परिणाम जरूर होगा भुगतना। पड़िए अगला कविता (नया शुरुआत) पड़िए पिछला कविता (खामोशी)

खामोशी - एक कविता। Silence - A Poem

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  खामोशी   क्या सोच सोचाथा मैं ऐसे होगा  कुछ ना करके दिन कटेगा?  रह पाऊंगा घर में मतदानके समय में! चारों ओर शोर  पर दिल में नहीं,  हर कोई कर रहा है काम  पर मैं नहीं। इच्छा तो है पर चाहत नहीं था  क्योंकि गलती से भरा है मतदान प्रक्रिया, ना सरकार, ना कमिशन  कोई नहीं चाहता  निर्भय होकर मतदान करें हर मतदाता। मतदान से अब मेरा उठ गया है भरोसा  अभी कुछभी नहीं है पहले जैसा, ना नेता, ना नीति  भयानक दलदल बन गया है ए राजनीति।  इसलिए ना चाहते भी में खुशहु  ए खामोशी तुझे में सलाम करता हूं। पढ़िए अगला कविता (परिणाम) पढ़िए पिछला कविता (नींद)

नींद - एक कविता। Sleep - A Poem

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  नींद   हर कोई है इससे परेशान  इससे प्रभावित है हर एक इंसान, आता है यह सब के पास  किसी को मिलता है चैन  कोई करता है अफसोस! बात ही है इसका अलग  इसके बिन काम नहीं करता किसीका दिमाग, अगर जीना है तो यह चाहिए  इसके बिन जिंदगी नरक बन जाता है।  24 घंटा में एक बार मुलाकात जरूरी  वरना घिरेगा एक से बढ़कर एक बीमारी,  दौड़ना पड़ेगा डॉक्टर के पास  डॉक्टर भी करेगा एइसा इलाज़,  निकल जाएगा सारा दौलत  खराब हो जाएगा हालत।  यह देखकर नींद आएगा  पूछेगा तब,  क्यों दौलत कम नहीं आया? मुझे छोड़ा दौलत कमाने, दौलत खोया मुझे पाने!  अब बताओ क्यों जी रहे हो  मुझे या दौलत से प्यार करते हो। पढ़िए अगला कविता (खामोशी) पढ़िए पिछला कविता (रास्ता)

रास्ता - एक कविता।‌ Way - A Poem

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  रास्ता   रास्ता अब दिख रहा है मुझे  चलना सिर्फ बाकी है, जिंदगी का वह मकाम  हासिल करना सिर्फ बाकी है। है हौसला मेहनत करने का  बिन पहुंची मैं नहीं रुकूंगा। जितना भी आए कठिनाई  अब मुझे रुकना नहीं, रुकावट कैसा भी हो  कोई फर्क नहीं ,  बादा है यह खुदसे मौकाम पहुंचे बिना मैं रुकूंगा नहीं।   ढूंडा बहुत, कितना मटका  अब जाकर मुझे रास्ता मिला,  चलना है मुझे सोच समझ कर  साथ-साथ धीरज रखना है,  तभी चल सकूंगा अच्छे तराहसे  पहुंच सकूंगा अपनी मौकाम पर। कहते हैं मेहनत बिना कुछ नहीं मिलता  अब समझ में आया  इस रास्ते के लिए मैं कितना भटका,  जवाब नहीं था, पर विश्वास था  उसका ही फल मुझे आज मिला।  अब सिर्फ चलना है मुझे  मेरे मुकाम पर पहुंचना है मुझे। पड़िए अगला कविता (नींद) पड़िए पिछला कविता (शिक्षण)

शिक्षण - एक कविता। Learning - A Poem

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  शिक्षण हर दिन कुछ नया मिलेगा  जीवन खुशियों से भरेगा,  रास्ता होगा फूलों से भरा  जिसमें था कांटा फैला।  बदलेगा हर चाल चलन  सिर्फ जारी रखना है शिक्षण। खुद से बड़ा कोई अपना नहीं  ज्ञान से बड़ा कोई धन नहीं, तो खुद से प्यार कर  खुद को बेहतर बनाने का काम कर अच्छा इंसान धरती में अब नहीं है  समय खराब हो तो  हर कोई बादल जाता है।   समय आने से सब छूटेगा  जानेके समय तुझे कुछ नहीं मिलेगा, सिर्फ इतना दिन जो सीखेहो  वह शिक्षण तुम्हें नहीं छोड़ेगा,  तो ए कमाओ वह क्यों  खुद को बेहतर बानाअ, रुकना क्यों?   हर दिन कुछ सीखो  यह थोड़ा-थोड़ा ज्ञान  एक दिन तुम्हें बनाएगा महान! पढ़िए अगला कविता (रास्ता) पढ़िए पिछला कविता (समय)

समय - एक कविता। Time - A Poem

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  समय   सब कहता है  समय अगर निकल गया  तो लौटके आता नहीं,  समय रहते अगर कुछ किया नहीं  तो जिंदगी में आगे बढ़ोगे नहीं। पर मेरा मानना है  समय लौट आता है उन लोगों के  जिसमें है क्षमता सेहनेका।  और जेसवा कुछ करने का।   जो आज अच्छा नहीं  वह आगे बदलेगा,  पुराना दिन फिर लौट आएगा  यही तो है इस समयका चक्र  पर सबके लिए नहीं!  ज्यादातर तो आज में जीते हैं  वह तो कुछ होता है  जो आगे का सोचता है। समय के साथ नहीं  सामने चलना सीखो,  डरकर नहीं  खुलकर जीना सीखो। मिलेगा हर खुशी  जो बीत गया इया आया नहीं  सिर्फ मेहनत करते चलो  कभी रुकना नहीं। पढ़िए अगला कविता (शिक्षण) पढ़िए पिछला कविता (बदलते दिन)

बदलते दिन - एक कविता। Changing Time - A Poem

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  बदलते दिन  अब मुझे लगराहा है  अच्छे वक्त आने वाला है  जिसका मैंने सिर्फ सपना देखा  पर हासिल करने का कोई रास्ता ना था।  मेरा सपनों का दिन आने वाला है   बस मुझे अच्छे से तैयारी करना है। देखा था मैंने सपना  एक खुशहाल जिंदगी का,  जहां गम नाम का कोई चीज ना हो  मैं बनू अपना बादशाह,  मिलने का कोई रास्ता ना था,  पर विश्वास मुझे था  एक दिन सपना जरूर पूरा होगा। हालात कभी अच्छा हुआ नहीं  तकलीफे पीछा छोड़ नहीं  मैं भी था जीद्दी  कोशिश करना कभी छोड़ा नहीं।  अभी मुझे लगता है,  बुरा समय जाने वाला है  मेरा सपना पूरा होने वाला है।   तलाश मैंने कितना किया, सिर्फ मैं जानू  वह सपनोंका राहको आज मुझे लगता है  मुझे मिलगए वह। पढ़िए अगला कविता  (समय) पढ़िए पिछला कविता (क्या खुदा है)

क्या खुदा है - एक कविता। Is There God

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 क्या खुदा है   हर वक्त में पूछता हूं मुझे,  क्या खुदा है?  ढूंढता हूं मैं इसका जवाब  दिल और दिमाग से,  दिल कहता है खुदा है  दिमाग कहता है नहीं,  पर असली जवाब क्या है  अभी तक मुझे मिला नहीं ! कहता है कर भला तो होगा भला,  काम करते जाओ, फल जरुर मिलेगा। ऊपर खुदा है, वह सब देखता है।  पर मुझे लगता नहीं!  चारों ओर अफरा-तफरी,  घर में भी कोई चैन नहीं,  कैसे यकीन अब करु में  अब लगता है मुझे,  खुद नाम का कोई चीज ही नहीं। कोशिश किया था हर वक्त अच्छा करने का  अगर खुदा है,  तो वह क्या नहीं देखा था? आज मेरा हाल ऐसा है  जो मैं कभी सोचा नहीं था,  इसलिए आज मेरा सवाल,  क्या खुदा है? पढ़िए अगला कविता (बदलते दिन) पढ़िए पिछला कविता (इंतेकाम)

इंतेकाम - एक कविता। Revenge - A Poem

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  इंतेकाम   बोलो अब क्या करोगे  सोचो अब कहां भगोगे,  करलिए तुम बहुत जुल्म  अब हम इंतेकाम लेंगे! क्या सोचेथे  हम कुछ नहीं कर सकते?  जो मर्जी वह करोगे?  तुम सबका घरा भर गया है  अब हम इंतेकाम लेंगे! इंसान को इंसान ना समझे  लुटमारी, खून-खराबासे हमें डराते रहे!  अब कैसे डराओगे?  हम और नहीं डरेंगे,  क्योंकि हमें इंतकाम चाहिए!   क्या सोचे थे,  गुंडागिरी से राज करोगे? जो मर्जी वह करोगे? अब ना बचोगे तुम,  ना तुम्हारे गुंडे,  बहुत सहेलिए हम, और ना सहेंगे  क्योंकि, अब हमें इंतेक़ाम चाहिए। पढ़िए अगला कविता (क्या खुदा है) पढ़िए पिछला कविता (इंसाफ)