नियत - एक कविता। Brain - A Poem
नियत
सब रहता है एक जगह में,
दिन-रात भी एक ही है,
फिर क्यों कोई अच्छा
और कोई बुड़ा राह लेताहै?
सब अगर है खुदाके बनाए,
तो एक जैसे सब क्यों नहीं है?
कुछ को सब शहराता है,
और कुछ को क्यों कोसता है?
एक घर में पले जब दो,
तो एक अच्छा और दूसरा क्यों बुरा होता है?
एक ही शिक्षा अगर मिले दोनों को,
तो अलग काम क्यों करता है?
उत्तर सरल है, सिर्फ सोचना पड़ेगा
धरतीके दो पेड़ क्यों आम और अखरोट होता!,
पेड़ का बीज और इंसान का नियत
एक से दूसरे को अलग बनाता!
पेर का मजबूरी है
बह बीज नहीं बदल सकता
पर तुम तो इंसान हो
आबतो बदलो अपने नियत को।
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