दिमाग - एक कविता। Brain - A Poem

दिमाग कहते हैं सब कोई दिमाग का कोई मुकाबला नहीं, जब मानने का बाड़ी आया ह सीधा सच भूल गया। इसलिए कुछ खुश होते हैं सब नहीं, ज्यादातर इस बात को समझा ही नहीं। शरीर सीमित है यह स्थान-काल-पात्र में सीमित है, पर दिमाग है बादशाह कोई उसे रोक नहीं सकता। इसका महत्व को समझो और शरीर कम दिमाग ज्यादा लगाओ। अगर अच्छे से इस्तेमाल किया तो मिलेगा तुम्हें वह सब जो तुम्हें चाहिए, इसलिए शरीर के साथ-साथ दिमागको भी समय दो, मजबूत बनाअ। यह संसार चलाता है दिमाग परखो अच्छा तराह से, जो इस्तेमाल किया दिमाग वह आगे बड़ा, बाकी सब रह गया पहले जैसे। पढ़िए अगला कविता पढ़िए पिछला कविता (वचपन)