दिमाग का खेल - एक कविता। Mind Game - A Poem
दिमाग का खेल
खेल है यह पैसे का
नहीं है ए सबका बसका,
पर सबको है ए खेलना,
पर कुछ दिन बाद समझ आता है
नहीं है यह सबका बसका!
यह तो है गजबका खेल
शक्तिका कोई जरूरत नहीं,
दिलका तो सुनोही मत
इन दोनों से इसका कोई वास्ता नहीं।
ए खेलना होगा दिमागसे,
दिमाग नहीं तो छोड़दो,
नहीं है ए तेरा बसके।
अच्छासे खेलोगे तो मिलेगा पैसा
बन जाओगे तुम बादशा,
पैसेका कोई कमी नहीं रहेगा,
हर चाहत तेरा पूरा होगा
पर याद रखो हर बार जीत नहीं होगा!
दिमागसे खेलना, दिलसे नहीं
दिलसे इसका कोई वास्ता नहीं,
समझ लिया इसे तो तुम तैयार हो
मैदान में अब उतर सकते हो।
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