बचपन - एक कविता। Childhood - A Poem
बचपन
कभी-कभी सोचता हूं मैं
अभी अच्छा हूं,
या बचपन में अच्छा था?
बचपन में मांग छोटा था
पर उसे हासिल नहीं कर सकता,
अब मांग बड़ा है
एभी औकात से बाहर है।
पर बचपन में खुशी था जिंदगी
जो आज नहीं है।
बचपन में दिल टूटने का कोई
अवसर नहीं था,
सिर्फ अच्छा और बुरा था,
पर आज हर पल दिल टूटता है
चारों ओर सिर्फ हे बुराई।
बचपन में कुछ करता था दिल से
आज करता हूं मजबूरी में,
असली खुशी कब खोगया
बचपनमें जो हमेशा रहता था।
जाना है मुझे फिरसे बचपन में
नहीं रहना है आज में,
बह पल लौटादो मुझे
जब मैं रहता था खुश, अपने तराह
नहीं रहना चाहता हूं मैं होके बड़ा।
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