डर - एक कविता। Fear - A Poem
डर
गलती तो होता है इसके मारे
गलती से सीखो,
डर आता है सबके जिंदगी में,
इसे झेलना सीखो!
रास्ता हो अगर खुशी से भड़ा
चलनेका मजा नहीं आता,
जिंदगीमें अगर डर ना हो
तो आगे बड़ा नहीं जा सकता।
मगर डर के मारे कुछ करना
और डर को समझकर कुछ करना
इन दोनों में है अंतर;
डर के मारे कुछ करोगे तो
पछताओगे जीवन भर,
और डर को समझकर कुछ करोगे तो
बन जाओगे एक दिन सिकंदर!
तो समझो डर को, डरो मत
समझकर काम करो
नादान बनो मत।
हौसला और हिम्मत साथ रखो
खुद पर भरोसा करो,
आज जितना खराब हो
काल अच्छा होगा,
जो सोचेहो, वह जरूर मिलेगा।
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