बदलो - एक कविता । Change - A Poem
बदलो
एक बार अच्छासे सोच कर देखो
तुम आगे बढ़ना चाहते हो,
और पुराना तरीका हि अपनाएं हो,
तो आगे कैसे बढ़ोगे?
यह तो पुराना हुनर ही है
जो तुम्हें यहां तक लाया है,
अपने आप में सुधार लाअ
कुछ नया अपनाअ।
नया सोच, नया हुनर
देखो खुद को पहले बदल कर,
अगर बदले दिन तो ठीक
बरना फिर एक नया सीख!
पर जान लो यह बात
पुराना हुनर कभी भी तुम्हें
नया कुछ दे नहीं सकता,
उसे जो देना था
वह उसने कब का तुम्हें दे दिया!
तो अगर नया कुछ चाहिए
तो नया कुछ सीखिए,
वरना पुराना राह में नया पाना
इस जन्म में तो नहीं होगा।
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