नया साल - एक कविता। New Year - A Poem
नया साल
चारों ओर कुछ बदलाव है
मानो जैसा कुछ गजबका बात है,
बैंड-बाजा, शोर-शराबा
पटाका भी फोड़ डाला,
खुशीका एक चादर फैला है
क्योंकि, नया साल आया है!
पाल है यह खुशी से भरा
मौज-मस्ती चारों ओर चल रहा,
जो शामिल है वह तो खुश हैं,
पर जो शामिल नहीं
बह ज्यादा खुश है।
पर चौकाने वाला बात ए है
जो नहीं समझता एसब क्यों
वह भी खुश है!
हां भाई, सब खुश हैं
इस नए साल में कुछ तो बात है!
हर दिल में है चाह, है दिल में है विश्वास,
अब आएगा बह पल
मिलेगा वह खुशी,
जो था मेरा ख्वाब, अब बदलेगा मेरा जिंदगी।
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