अच्छे दिन - एक कविता। Good Days - A Poem
अच्छे दिन
नाम ही सिर्फ सुना है
पर देखा नहीं,
होताहै कैसे यह अच्छे दिन
कभी महसूस किया नहीं!
बुरा वक्त मुझे घिरे है
चाहत सिर्फ इसे छुटकारा पाने का है,
रोश्नीका कोई किरण नहीं
अच्छे दिनका अब मुझे कोई चाहत नहीं!
जिंदगी है गम से भरा
इधर गम उधर गम
चारों ओरसे इससे ही घिरा,
ख्वाब है बस इससे छुटकारा मिल जाए
अच्छे दिन कभी आए या ना आए!
सोचताहूं मैं
बुरा वक्तसे ही दोस्ती करलु,
कमसे कम सुकून तो रहेगा
जो चाहताथा वही मिला
कुछतो ख्वाब पूरा होगा!
अच्छे दिनका इंतजार करना क्यों
जो नहीं मिलेगा,
उसका चाहत रखना क्यों
जो है उसे ही मैं अब खुश रहूंगा
अच्छे दिनका इंतजार मैं और नहीं करूंगा।
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