शरीर - एक कविता। Physic - A Poem

 शरीर 


शरीर - एक कविता। Physic - A Poem


स्वुस्थ शरीर, तेज दिमाग

 साथ-साथ सीने में आग,

कामयाब होनेके लिए ए काफी है,

 मेहनत जोड़दो

 तुम कामयाब जरूर बनोगे।


शरीरको लोहा बनालो

 कोईभी तुम्हें तोड़ ना सके,

 धीरज से काम करो

 और किताब पढ़ो,

 दिमाग हो जाएगा तेजधार 

फिर मुसीबत जितनाभी आए

 तुम होजाओगे पार। 


शरीर और दिमागतो है

 गोला बारूद जैसा,

 जो कामयाबीके युद्ध में जरूर चाहिए,

 कामयाब बननेके लिए 

मेहनत करना जरूरी है!

इसके आगे शरीर और दिमाग

 दोनों ही कम परजाएगा,

पर जिसके पास ए तीनों ही है

 उसे कोई ताकत रोक नहीं पाएगा।


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शरीर - एक कविता। Physic - A Poem


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