मंजिल - एक शायरी । Destination - A Shayeri
हो जितना तकलीफे
सहना पड़े जितना दर्द,
हो जितना तकलीफे
सहना पड़े जितना दर्द,
खुद से किया हूं वादा, नहीं भटकूंगा
जब तक मंजिल में ना पहुंच जाता।
हो जितना तकलीफे
सहना पड़े जितना दर्द,
हो जितना तकलीफे
सहना पड़े जितना दर्द,
खुद से किया हूं वादा, नहीं भटकूंगा
जब तक मंजिल में ना पहुंच जाता।
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