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बिजली- एक कविता। Electricity - A Poem

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 बिजली दिखती नहीं पर होती है  वहुत जगाह एक साथ जाती है  करती कुछ नहीं पर,  बहुत कुछ करने के लिए सहायता करती है  जाने से मायूसी छा जाते हैं। आज दुनिया चल नहीं सकता  इसके बिन,  खुशियां जैसे घूम ही हो जाता है  इसके बिन, रातमें कुछ दिखता नहीं  इसके बिन,  टेक्नोलॉजी कुछ काम की नहीं  इसके बिन। उनसे पूछो जिसको कोई प्रिंट करना है  और ए नहीं रहता, उनसे पूछो जिसका मोबाइल चार्ज करना है  और यह नहीं रहता,  उनसे पूछो जिसको मशीन का कुछ काम है  और यह नहीं रहता,  वह सब बताएगा तुम्हें इसका नाम,  मैं मुहावरा बताया,  ढूंढना अब तुम्हारा काम! परिये अगले कविता (रास्ता) परिये पिछले कविता (बदलता जिंदगी)

बदलता जिंदगी - एक कविता। Changing Life - A Poem

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बदलता जिंदगी सोचलिया बहुत अब काम करना है  जो मौकाम सोचाथा वह हासिल करना है, इतने सालमें जो सीखा  बह सबका सिखाना है, ताकि दूसरों के भी भलाहो‌ मेरे साथमे। परेशानी सबका है, सब इससे जूझ रहेहैं  निकलना चाहता है सब, पर रास्ता नहीं दिख रहेहैं, आए आप सीखे, कुछ सहलाले अपनोसे ताकि तकलीफे दूर हो, जिंदगी होजाए अच्छे। सहेलियां अब बहुत  और नहीं सहना,  थोड़ा खुदको बेहतर बनानेके लिए खर्च करे  क्योंकि अब मौकामहै हासिल करना। इतने दिन कैसे जिये, सिर्फ मुझे पता  अब मैं लिखूंगा मेरे नसीब जैसे मैं चाहता,  इस बदलनेकी दौड़ में आए जितना कठिनाई  तोड़ सकेंगा ना मुझे, झुका सकेगा ना मुझे  क्योंकि बदलना है मुझे अपना जिंदगी परिये अगले कविता (विजली) परिये पिछले कविता (राजनीति)

राजनीति - कविता। Politics - Poem

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 राजनीति निकला सव लेके सपथ करने सुधार देश, करेंगें सव काम साथ साथ ताकि देशवासी रहे खुश। पर यव आये मैका टेश सुधारने का भुलगया सव वादा, पयसेका चाहमे डुवके, आपना जेव भरने लगा।  दिल में ना कयि सच्चाई, ना कयि नीति एहि सव लोग करते हे राजनीति। कहां है वह समय, वैसा नेता कहा हे, जो आपने चाह भुलाके, देशवासी के वारे में सोचतेथे। वहथा समय,  यव भरोसा करते थे टेशवासी, देश के भालाइका रास्ता है राजनीति। आज ना वैसा नेता हैं ना वैसी राजनीति, नेता सव लुटनेमे लगेंहे, दुर्नीति के दुसरे नाम हुया राजनीति। अच्छे इन्सानका कदर नहीं, भलाइका जमाना नहीं, आज जिनसवका दिल साफ नहीं,   राजनीति करतेहे वहीं। परिये अगले कविता (बदलता जिंदगी) परिये पिछले कविता (बातें)

बातें - कविता। Conversation - A Poem

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 बातें जिंदगीने पूछा मुझे,  बोल तुझे क्या चाहिए!  मैंने बोला,  थोड़ा सुकून, थोड़ा चैन, थोड़ा खुशी, सुनकर जिंदगीने बोला, जन्मेहो इंसान बनकर,  खुदा बाला चाहत नाख, संसार दुखसे घिरा हुआहै  मिलेगा तुम्हें कहांसे सुख!  मैंने बोला, खुदा आगर हमारा पालनहार है  तो, सबका ख्याल रखना  उसका करतव्य है,  हमें वह अगर सुख ना दे सकता  तो, सुख उसे कैसे नसीब हो रहे हैं? इसे सुनकर जिंदगी बोला,  यही तो अंतर है इंसान और खुदामें, वह खुदा है इसलिए खुश नहीं है, वह खुश है इसलिए वह खुदा कहलाता है! परिये अगले कविता (राजनीति) परिये पिछले कविता (फुटबॉल)

फुटबॉल - एक कविता। Football - A Poem

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 फुटबॉल खेलतो बहुत सारा है  पर, तुम्हारा जैसा कोई नहीं  खेलनातो सब जानते हैं  पर, जिसमें हिम्मत और बुद्धि है  फुटबॉलमे जीत्ताहै वही! तुमतो हो खेलोंके सान  जितना वक्त चलतेहो  सिर्फ खिलाड़ियोंको नहीं  देखनेवालोंकोभी खेल सिखातेहो!  सबके अंदर ज्बालातेहो आंग, हिम्मतका  और, आखरीमें समझातेहो,  यह खेल नहीं डरने वालोंका। हिम्मत एक आकरा है  तो, कौशल दूसरा,  इसके साथ अगर गति मिल जाए  तो, उसका कोई कर ना सके मुकाबला! फुटबॉलमें मजाही कुछ और है  क्योंकि, असली खिलाड़ी रहताहै  मैदान के बाहरमें!  खिलाड़ी तो सिर्फ मोहरा है  उन्हें अंजाम देता होताहै!  दिमाग तो बाहर चलताहै, उसे पताहै कब, क्या करनाहै!  यह मेलबंधन दिमाग और हिम्मतका यहीतो मजाहै, फुटबॉल खेलने और देखनेका!  परिये अगले कविता (बातें) परिये पिछले कविता (हल)

हल - हिंदी कविता। Solution - A Hindi Poem

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हल एक कहावत है  मेहनतका फल और समस्या का हल  देर सही पर मिलता जरूर है वह, धीरज रखना है! समय कभी एक जैसा नहीं होता  समस्या कितनाभी जटिल हो एकदिन हल जरूर निकलता! जिंदगी खुशियों भरा नहीं होता  होनाभी नहीं चाहिए  अगर नहीं होगा समस्यासे मुकाबला  तो आगे कैसे वरोगे? कठिनाई आती है जीना सिखाने, तुम्हें सिर्फ धीरजसे काम करनाहै  हौसला कभी ना हारो  और, हल्का तलाश जारी रखो! कहतेहैं ढूंढनेसे भगवानभी मिलताहै  तो, हल क्यों नहीं मिलेगा? दिल से काम करते जाओ  तलाशभी जारी रखो,  वह समय जरूर आएगा,  तुम्हारा समस्याका हल जरूर मिलेगा! परिये अगले कविता (फुटबॉल) परिये पिछले कविता (रुपिया)

रुपिया - एक कविता। Money - A Poem

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 रुपिया रोटी, कपड़ा और मकान  जिनेके लिए चाहिए यह तिन,  पर इंसानको और चाहिए  इसके लिए, वह  कुछभी करने के लिए तैयार है! आदर्श, नीति यह तो पुरानी बात अभी तो सबकुछ बिकता है  सिर्फ देने पड़ेगा अच्छा कीमत, रुपया है, तो मिलेगा सव!  कहांसे आया रुपया,  कोई नहीं मांगेगा हिसाब!  व्यापारियों का दुनिया है, हर कोई व्यापार में लगा हुआ है  कोई खरीदते, तो कोई वेजते है,  पर, मुनाफा सबको चाहिए! एक कहावत है  समय के साथ चलना चाहिए  अब सोचके देखो,  अगर सब कोई रुपयाके पीछे भागनेलगे  तो नतीजा क्या होगा,  देश आगे बढ़ेगा? परिये अगले कविता (हल) परिये पिछले कविता (संदेश )

संदेश। A Poem on News

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  संदेश   तेरे बारेमें कहना क्या कहना क्या कामहै तेरा जाकर बोलना  कुछ हुआहै या होने वालाहै  अच्छा या बुरा  किसीके जिंदगी में! पर, दूसरा और एक संदेश है जो ना औच्छा, ना बुरा होता है,  जिसका काम है सिर्फ आतंक फैलाना  पर बादमें बहुत खुशी देताहै! पहले मानसिक दबाव बराताहै  यह देखनेकेलिए,  कि तुम कितना काबिलहो,  झेलने उतर-चढ़ाव इस जिंदगीमें! भेजनेवालेकाभी मकसद एक नहीं, कुछ अच्छे, तो कुछ बोलाभी नहीं  वह देखतेहैं तुम असली या नकली! तुम्हें सिर्फ सतर्क रहनाहै  काम करनाहै वरतके सावधानी! परिये अगले कविता (रुपिया) परिये पिछले कविता (बीमारी)

बीमारी।A Poem on Illness

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  बीमारी यहतो सब को होता है  पर जो बोल सकता है उससे,  जो नहीं बोल सकता उसका,  तकलीफ ज्यादा होता है! आओ अब डॉक्टर के बारे में बले,  अगर दिलका सच्चा निकला, तो ठीक है  वरना समझलो यारों  बुरा हाल तुम्हारा होना है! पर, आजभी ईमानदार डॉक्टर बहुत है,  एतो कुछ इंसानों के नाम पर हैवान है जो सबको बदनाम कर रहे हैं! अब चलो दवा के बारे में बताये,  कंपनी कम नहीं इस देश में एक से बढ़कर एक- दावाके दाम भी है,  जिसका भाऊ ज्यादा, वह सबसे अच्छा कहलाता है! यह तो हुआ आजका हाल  पर, जान लो एक बात  अच्छे दवा और डॉक्टर अजभी है, वही तो दिखाया दिसा एस कोविड-19 में  बीमार जैसेभी हो -बोलने वाला या नहीं  वहतो तैयार है देने जिंदगी! परिये अगले कविता (संदेश) परिये पिछले कविता (भागदौड़)

भागदौड़ - A Poem on Busy Life

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 भागदौड़ कामवालोंको समय नहीं मिलता, कुछ ना करो तो समय नहीं गुजरता,  यह तुम्हें तय करना है  काम करके जीना है  या कुछ ना करके बादमें पछताना है। जिंदगी अमूल्य है  ऐसे बर्बाद मत करो, काम करो यारों, जिंदगी बर्बाद मत करो!  जितना काम में व्यस्त रहोगे  समय तेजी से गुजरेगा,  जिंदगी भागदौड़ वाली होगी जरुर,  पर खुशी रहेगा जिंदगी में   क्योंकि,  मेहनत करने वालों पर खुदाका हाथ रहता है! अब सोचनाहे तुम्हें, करोगे क्या जिंदगीमें,  काम करके खुश रहोगे  या, ऐसे ही खुद को बर्बाद करोगे! परिये अगले कविता (बीमारी) परिये पिछले कविता (सलाह)

सलाह पर कविता। A Poem on Advice

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  सलाह आज एक सलाह दूंगा तुम्हें  तलाश करना छोड़ दो अच्छे, सच्चे भरोसेमंदको,  किताबकोहि दोस्त बनाओ  जिंदगीमें खुशी मिलेगा और देशके कामभी आओगे। धोखाना खाओगे कभी  खुशहाल बनेगा जिंदगी।  मिलेगा तुम्हें वह सब  जो है तेरा गांव  बस पढ़ना है तुम्हें किताब। कुछ सचताहोगा, परके करूं क्या  मेरा पढ़ाईतो कबका छूट गया  उनसे कहूंगा, दोस्त......  सीखनेका कोई उम्र नहीं होता,  ज्ञानका कोई सीमा नहीं होता,  अविभी समय है, चालु करदो पढ़ाई। धीरे-धीरे तुम्हारे ज्ञान बढ़ेगा  बहुत कुछ जान पाओगे  फिर मिलेगा तुम्हें रास्ता,  जो इतना दिन तुम्हें नहीं दिखा!  नाज होगा तुमपे सबका एकदिन  अगर सुनोगे बात मेरा, आजके दिन! परिये अगले कविता (भागदौड़) परिये पिछले कविता (विश्बास)

विश्बास के लेकर कविता। A Poem on 'Trust'

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  विश्बास अगर यह नहीं हो  तो रिश्ता टिकता नहीं, जीवन चल तो जाएगा  पर किसी के साथ नहीं,  रास्ता मिलतो जाएगा  मगर पास कोई ना होगा,  ऐसे रिश्ते भी कौन चाहता जिसमें भरोसा ना होता! जैसे एक हाथ से ताली बजता नहीं  वैसे विश्वासभी ऐसी चीज है  जो सच्चे दो इंसानके अलावा बनता नहीं!  पहले सच्चे इंसान तो बन  दिल साफ कर तव, सब तुझपर विश्वास करेगा, कहलाएगा तू इंसान भरोसेमंद! मगर, सावधान रहना  दुनिया धोखेदारीसे भड़ाहे,  आंखें मूंदके किसीपर विश्वास मत करना  वरना गिरना तुझको खाईमें है विश्वास करो भरोसेमंदपे।  भरोसा करो सच्चे इंसानपे,  इसलिए पहले खुद बनो सच्चे  फिर, मिलेगा तुम्हें इंसान अच्छे। परिये अगले कविता (सलाह) परिये पिछले कविता (उम्र)

उम्र- को लेकर एक कविता। A Poem on Age

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  उम्र ए रहते कुछ करलो काम  फिरना होपाएगा तुम्हारे नाम! पर, रहताहे ए कितना दिन?  अरे, जब तक रहताहे जीवन! जीवन ही उम्र है  रुकना नहीं,  प्रेस करते जाओ, छोड़ना नहीं   सफलताका दूसरा कोई रास्ता नहीं  कठिन प्रयास- सिर्फ यही, सिर्फ यही! सब कुछमें है पाबंदी  पर, प्रयासमें नहीं  एकदिन सब छूट जातेहे पर, उम्र नहीं ! यह रहेगा तुम्हारे साथ  जब तक तुझमें है जान, अगर अच्छेसे इस्तेमाल करो  बनाएगा तुम्हें महान! परिये अगले कविता (विश्बास) परिये पिछले कविता (धर्म)

धर्म कविता। A Poem on Religion

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  धर्म सच्चे मनसे मानो  तो खुदा तुम्हारा पास है! ईमानसे कुछ करो  तो वही धर्म कहलाताहे। पर आज धर्म समानहे  इसका व्यापार हो रहाहे! धर्म पालने वाले इसे वेचतेहे! ज्यादा पैसा दो,  तो धर्म तुम्हारे, तुम्हारा घरमें आएगा  सब तुम्हें धार्मिक बुलाएगा! यह व्यापार अद्भुत है  बेचने वाले और खरीदने वाले  वह दोनों का ही फायदा होता है पर, मानव समाज, देश होता है धीरे-धीरे नाश! इसलिए मन अच्छा रखो,  काम अच्छा करो,  ऐसे ही तुम धर्म के व्यापार को  रोक सकोगे,   और तुम एक सच्चे धार्मिक कहलाओगे! परिये अगले कविता (उम्र) परिये पिछले कविता (फसल)

फसल कविता। A Poem on Crop

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फसल हरी पत्ती हरा स्व जलमे में बास, ऊपर आकाश।  ना कयि बधाहे  चारों ओर तुमही छाये,  रहतेहो छोटासा, पर काम बड़ा  तुम्हारे लिए यह संसार खड़ा। तुम जानतेहो  यह नदियां, खेत-खलियान  सब पड़ जाएगा फिका,  खो देगा मान,  अगर भूखा रहने लगे इंसान! इसलिएतो तुम आए  फसल हम तुम्हें बुलाए  धान, गेहूं - तुम्हारा कितना नाम  हे पालनहार, तुम्हें शतकोटि प्रणाम! परिये अगले कविता (धर्म) परिये पिछले कविता (नया शुरुआत)

नया शुरुआत कविता। A Poem on New Start in Life.

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 नया शुरुआत आज नया शुरुआत किया,  सुबह घुमके आया,  बहार पेपर पढ़ा,  टीवी देखा, शाम को घूम के आया,  जीवन को जैसा छोड़ दिया!  आज नए तरहसे शुरुआत किया! थोड़ा दिक्कततो हमेशा रहेगा  पर चलनेका नामही है जिंदगी! हमेशा चलते रहो  रुकना नहीं,रुकना नहीं! जिंदगी एक आईना जैसी  तुम मुस्कुराअगे तो मुस्कुराएंगी,  रोअगे तो रोएगी,  ये तुम्हें तय करनाहे  तुम कैसे चाहोगे गुजारना आपनि जिंदगी। परिये अगले कविता (फसल) परिये पिछले कविता (नेताजी)

नेताजी कविता| A Poem on Netaji Subhash Chandra Bose

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  नेताजी जब-जब अत्याचार बढ़ताहे इतिहास गवाहे, तब आताहे कोई मसीहा  वह करताहे खात्मा जालिमोंका।  दे जाताहे शांति और उन्नति  जिसके लिए ऊंचा रहता है सर धरती मां की। ऐसाही एक आयाथा एक दिन  जब देशवासियोंका चल रहाथा दुर्दिन,  सुभाष चंद्र बोस उसका नामहे  पर, श्रद्धासे सब उसे नेताजी कहताहे,  ऐसे ही उसका कामहे। बह था वहुत बित्तशाली घरका,  पढ़ाई मेंभी वह किसीसे कम नहींथा  किया था वह आईसीएस पाश  पर, ठुकरा दिया वह आरामकी जिंदगी  क्योंकि, उसके दिलमें था अपना देश। देश में अंग्रेजका चल रहाथा अत्याचार  वह देश को आजादी दिलाने के लिए करने लगा जुगाड़,  विद्रोह किया, देश छोरी, सेना वाहिनी तैयार किया,  बह सब किया जो उसका क्षमतामें था!  आखिरमें जान भी दिया  पर, कभी बुराईके आगे नहीं झुका! देश आजाद हुआ  देशवासी खुश हुए,  बहुत साल बीत गया  पर, उनका जैसा ना कोई आया था, ना आया! परिये अगले कविता (नया शुरुआत) परिये पिछले कविता (एक आवाज)

एक आवाज कविता| A Voice for Unity

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  एक आवाज मैं मुस्लिम, तू हिंदू, और कोई है सिख  में मुस्लिम, तु हिंदू, और कोई है सिख। मजहब अलग-अलग हो सकताहे  पर, खुदा सबका है एक।  पुकारते हैं हम उसे  अलग अलग नामसे,  पर, नाम में क्या रख्खा है, मेरे दोस्त  पहचान बनता है कामसे।  काम करो ऐसा  सब बनना चाहे तुम्हारा जैसा,  भेदभाव सब भूल जाओ  सबके लिए तुम खुशियां लाओ। जिंदगी है बहुत छोटा, मेरे यार  कब समझोगे तुम,  जब हो जाएगा ए पार  जो करना है वह अब करो , अच्छे काम की साथ आगे बढ़ो  रहोगे तुम सबके दिलमें, क्योंकि, कर्म ही सब है  क्या रखा है नाम में। परिये अगले कविता (नेताजी) परिये पिछले कविता (पहचानो मुझे)

पहचानो मुझे कविता| A Poem on New Year

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  पहचानो मुझे पहचाना मुझे  मैं कौन हूं  हर साल में एक दिन  में आता हूं।  लेकर बहुत आताहूं तुम सबके लिए  बहुत सारी खुशियां  मेरे साथ झुम उठता हे  सारा दुनिया।  हालही में कुछ महीने पहले,  मैं आया था  इस जग में खुशियों की बरसात,  में लाया था  अभी भी याद नहीं आया  दिमाग में थोड़ा जोर डालो  तुमने कितना मौज किया मेरे आनेपर  अबतो पहचानो  भूलने की बीमारी तुम्हारा जाएगा नहीं  इसलिए तो तुम इंसान हो,भगवान नहीं। मैं ही बता देता हूं अब  क्या कहना और  मैं हूं १ जनवरी  जब तुम कहते हो "हैप्पी न्यू ईयर"  नए साल की बधाई सबको देतेहो। परिये अगले कविता (एक आवाज) परिये पिछले कविता (मात्री भाषा)

मात्री भाषा कविता| A Poem on Mother Tongue

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  मात्री भाषा  इंसान तो बहुत देखा  पर मा जैसा कोई नहीं  भाषा तो बहुत सारा हे पर हिंदी जैसा एक भी नहीं। इस भाषा में है जिनेका आस इसे सुनके, परके और लिखके दिलमें मिलताहे खुशी।  जिंदगी में आताहे मीठास  क्योंकि, मातृभाषा होताहे बहुत खास। यह जिंदगी में आताहे सबसे पहले  मा की आंचल की तहरा हरवक्त देताहे साथ  इसलिए सब केहताहे  हिंदी का कुछ और ही है बात। तुम मिललो जितने इंसान से  हर कोई अपने नहीं होता  तुम सीखलो जितने भाषा  पर वह नहीं मातृभाषा जैसा।  मातृभाषामें मिलता है बह खुशि जिसका कोई विकल्प नहीं है  यह है सबसे प्यारा  इसका कोई तोड़ नहीं है। परिये अगले कविता (पहचानो मुझे) परिये पिछले कविता (२६ जनवरी)