इन्साफ - एक शायरी। Justice - A Shayeri
पपियो का जाल बिछा है हर तरफ
पर इस बार होगा इंसाफ,
पपियो का जाल बिछा है हर तरफ
पर इस बार होगा इंसाफ,
कर ले कोशिश जितना करना है
कोई गुनाह ना होगा माफ।
पपियो का जाल बिछा है हर तरफ
पर इस बार होगा इंसाफ,
पपियो का जाल बिछा है हर तरफ
पर इस बार होगा इंसाफ,
कर ले कोशिश जितना करना है
कोई गुनाह ना होगा माफ।
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