शिख - एक शायरी। Learning - A Shayeri
शिख
ऐसे ही गुजार दिया दिन
कुछ ना करके,
ऐसे ही गुजार दिया दिन
कुछ ना करके,
सीने में है जो आग कुछ करने का
बुझता नजर आया, इस गर्मी में।
ऐसे ही गुजार दिया दिन
कुछ ना करके,
ऐसे ही गुजार दिया दिन
कुछ ना करके,
सीने में है जो आग कुछ करने का
बुझता नजर आया, इस गर्मी में।
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