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संदेश। A Poem on News

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  संदेश   तेरे बारेमें कहना क्या कहना क्या कामहै तेरा जाकर बोलना  कुछ हुआहै या होने वालाहै  अच्छा या बुरा  किसीके जिंदगी में! पर, दूसरा और एक संदेश है जो ना औच्छा, ना बुरा होता है,  जिसका काम है सिर्फ आतंक फैलाना  पर बादमें बहुत खुशी देताहै! पहले मानसिक दबाव बराताहै  यह देखनेकेलिए,  कि तुम कितना काबिलहो,  झेलने उतर-चढ़ाव इस जिंदगीमें! भेजनेवालेकाभी मकसद एक नहीं, कुछ अच्छे, तो कुछ बोलाभी नहीं  वह देखतेहैं तुम असली या नकली! तुम्हें सिर्फ सतर्क रहनाहै  काम करनाहै वरतके सावधानी! परिये अगले कविता (रुपिया) परिये पिछले कविता (बीमारी)

बीमारी।A Poem on Illness

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  बीमारी यहतो सब को होता है  पर जो बोल सकता है उससे,  जो नहीं बोल सकता उसका,  तकलीफ ज्यादा होता है! आओ अब डॉक्टर के बारे में बले,  अगर दिलका सच्चा निकला, तो ठीक है  वरना समझलो यारों  बुरा हाल तुम्हारा होना है! पर, आजभी ईमानदार डॉक्टर बहुत है,  एतो कुछ इंसानों के नाम पर हैवान है जो सबको बदनाम कर रहे हैं! अब चलो दवा के बारे में बताये,  कंपनी कम नहीं इस देश में एक से बढ़कर एक- दावाके दाम भी है,  जिसका भाऊ ज्यादा, वह सबसे अच्छा कहलाता है! यह तो हुआ आजका हाल  पर, जान लो एक बात  अच्छे दवा और डॉक्टर अजभी है, वही तो दिखाया दिसा एस कोविड-19 में  बीमार जैसेभी हो -बोलने वाला या नहीं  वहतो तैयार है देने जिंदगी! परिये अगले कविता (संदेश) परिये पिछले कविता (भागदौड़)

भागदौड़ - A Poem on Busy Life

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 भागदौड़ कामवालोंको समय नहीं मिलता, कुछ ना करो तो समय नहीं गुजरता,  यह तुम्हें तय करना है  काम करके जीना है  या कुछ ना करके बादमें पछताना है। जिंदगी अमूल्य है  ऐसे बर्बाद मत करो, काम करो यारों, जिंदगी बर्बाद मत करो!  जितना काम में व्यस्त रहोगे  समय तेजी से गुजरेगा,  जिंदगी भागदौड़ वाली होगी जरुर,  पर खुशी रहेगा जिंदगी में   क्योंकि,  मेहनत करने वालों पर खुदाका हाथ रहता है! अब सोचनाहे तुम्हें, करोगे क्या जिंदगीमें,  काम करके खुश रहोगे  या, ऐसे ही खुद को बर्बाद करोगे! परिये अगले कविता (बीमारी) परिये पिछले कविता (सलाह)

सलाह पर कविता। A Poem on Advice

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  सलाह आज एक सलाह दूंगा तुम्हें  तलाश करना छोड़ दो अच्छे, सच्चे भरोसेमंदको,  किताबकोहि दोस्त बनाओ  जिंदगीमें खुशी मिलेगा और देशके कामभी आओगे। धोखाना खाओगे कभी  खुशहाल बनेगा जिंदगी।  मिलेगा तुम्हें वह सब  जो है तेरा गांव  बस पढ़ना है तुम्हें किताब। कुछ सचताहोगा, परके करूं क्या  मेरा पढ़ाईतो कबका छूट गया  उनसे कहूंगा, दोस्त......  सीखनेका कोई उम्र नहीं होता,  ज्ञानका कोई सीमा नहीं होता,  अविभी समय है, चालु करदो पढ़ाई। धीरे-धीरे तुम्हारे ज्ञान बढ़ेगा  बहुत कुछ जान पाओगे  फिर मिलेगा तुम्हें रास्ता,  जो इतना दिन तुम्हें नहीं दिखा!  नाज होगा तुमपे सबका एकदिन  अगर सुनोगे बात मेरा, आजके दिन! परिये अगले कविता (भागदौड़) परिये पिछले कविता (विश्बास)

विश्बास के लेकर कविता। A Poem on 'Trust'

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  विश्बास अगर यह नहीं हो  तो रिश्ता टिकता नहीं, जीवन चल तो जाएगा  पर किसी के साथ नहीं,  रास्ता मिलतो जाएगा  मगर पास कोई ना होगा,  ऐसे रिश्ते भी कौन चाहता जिसमें भरोसा ना होता! जैसे एक हाथ से ताली बजता नहीं  वैसे विश्वासभी ऐसी चीज है  जो सच्चे दो इंसानके अलावा बनता नहीं!  पहले सच्चे इंसान तो बन  दिल साफ कर तव, सब तुझपर विश्वास करेगा, कहलाएगा तू इंसान भरोसेमंद! मगर, सावधान रहना  दुनिया धोखेदारीसे भड़ाहे,  आंखें मूंदके किसीपर विश्वास मत करना  वरना गिरना तुझको खाईमें है विश्वास करो भरोसेमंदपे।  भरोसा करो सच्चे इंसानपे,  इसलिए पहले खुद बनो सच्चे  फिर, मिलेगा तुम्हें इंसान अच्छे। परिये अगले कविता (सलाह) परिये पिछले कविता (उम्र)

उम्र- को लेकर एक कविता। A Poem on Age

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  उम्र ए रहते कुछ करलो काम  फिरना होपाएगा तुम्हारे नाम! पर, रहताहे ए कितना दिन?  अरे, जब तक रहताहे जीवन! जीवन ही उम्र है  रुकना नहीं,  प्रेस करते जाओ, छोड़ना नहीं   सफलताका दूसरा कोई रास्ता नहीं  कठिन प्रयास- सिर्फ यही, सिर्फ यही! सब कुछमें है पाबंदी  पर, प्रयासमें नहीं  एकदिन सब छूट जातेहे पर, उम्र नहीं ! यह रहेगा तुम्हारे साथ  जब तक तुझमें है जान, अगर अच्छेसे इस्तेमाल करो  बनाएगा तुम्हें महान! परिये अगले कविता (विश्बास) परिये पिछले कविता (धर्म)

धर्म कविता। A Poem on Religion

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  धर्म सच्चे मनसे मानो  तो खुदा तुम्हारा पास है! ईमानसे कुछ करो  तो वही धर्म कहलाताहे। पर आज धर्म समानहे  इसका व्यापार हो रहाहे! धर्म पालने वाले इसे वेचतेहे! ज्यादा पैसा दो,  तो धर्म तुम्हारे, तुम्हारा घरमें आएगा  सब तुम्हें धार्मिक बुलाएगा! यह व्यापार अद्भुत है  बेचने वाले और खरीदने वाले  वह दोनों का ही फायदा होता है पर, मानव समाज, देश होता है धीरे-धीरे नाश! इसलिए मन अच्छा रखो,  काम अच्छा करो,  ऐसे ही तुम धर्म के व्यापार को  रोक सकोगे,   और तुम एक सच्चे धार्मिक कहलाओगे! परिये अगले कविता (उम्र) परिये पिछले कविता (फसल)

फसल कविता। A Poem on Crop

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फसल हरी पत्ती हरा स्व जलमे में बास, ऊपर आकाश।  ना कयि बधाहे  चारों ओर तुमही छाये,  रहतेहो छोटासा, पर काम बड़ा  तुम्हारे लिए यह संसार खड़ा। तुम जानतेहो  यह नदियां, खेत-खलियान  सब पड़ जाएगा फिका,  खो देगा मान,  अगर भूखा रहने लगे इंसान! इसलिएतो तुम आए  फसल हम तुम्हें बुलाए  धान, गेहूं - तुम्हारा कितना नाम  हे पालनहार, तुम्हें शतकोटि प्रणाम! परिये अगले कविता (धर्म) परिये पिछले कविता (नया शुरुआत)

नया शुरुआत कविता। A Poem on New Start in Life.

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 नया शुरुआत आज नया शुरुआत किया,  सुबह घुमके आया,  बहार पेपर पढ़ा,  टीवी देखा, शाम को घूम के आया,  जीवन को जैसा छोड़ दिया!  आज नए तरहसे शुरुआत किया! थोड़ा दिक्कततो हमेशा रहेगा  पर चलनेका नामही है जिंदगी! हमेशा चलते रहो  रुकना नहीं,रुकना नहीं! जिंदगी एक आईना जैसी  तुम मुस्कुराअगे तो मुस्कुराएंगी,  रोअगे तो रोएगी,  ये तुम्हें तय करनाहे  तुम कैसे चाहोगे गुजारना आपनि जिंदगी। परिये अगले कविता (फसल) परिये पिछले कविता (नेताजी)

नेताजी कविता| A Poem on Netaji Subhash Chandra Bose

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  नेताजी जब-जब अत्याचार बढ़ताहे इतिहास गवाहे, तब आताहे कोई मसीहा  वह करताहे खात्मा जालिमोंका।  दे जाताहे शांति और उन्नति  जिसके लिए ऊंचा रहता है सर धरती मां की। ऐसाही एक आयाथा एक दिन  जब देशवासियोंका चल रहाथा दुर्दिन,  सुभाष चंद्र बोस उसका नामहे  पर, श्रद्धासे सब उसे नेताजी कहताहे,  ऐसे ही उसका कामहे। बह था वहुत बित्तशाली घरका,  पढ़ाई मेंभी वह किसीसे कम नहींथा  किया था वह आईसीएस पाश  पर, ठुकरा दिया वह आरामकी जिंदगी  क्योंकि, उसके दिलमें था अपना देश। देश में अंग्रेजका चल रहाथा अत्याचार  वह देश को आजादी दिलाने के लिए करने लगा जुगाड़,  विद्रोह किया, देश छोरी, सेना वाहिनी तैयार किया,  बह सब किया जो उसका क्षमतामें था!  आखिरमें जान भी दिया  पर, कभी बुराईके आगे नहीं झुका! देश आजाद हुआ  देशवासी खुश हुए,  बहुत साल बीत गया  पर, उनका जैसा ना कोई आया था, ना आया! परिये अगले कविता (नया शुरुआत) परिये पिछले कविता (एक आवाज)

एक आवाज कविता| A Voice for Unity

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  एक आवाज मैं मुस्लिम, तू हिंदू, और कोई है सिख  में मुस्लिम, तु हिंदू, और कोई है सिख। मजहब अलग-अलग हो सकताहे  पर, खुदा सबका है एक।  पुकारते हैं हम उसे  अलग अलग नामसे,  पर, नाम में क्या रख्खा है, मेरे दोस्त  पहचान बनता है कामसे।  काम करो ऐसा  सब बनना चाहे तुम्हारा जैसा,  भेदभाव सब भूल जाओ  सबके लिए तुम खुशियां लाओ। जिंदगी है बहुत छोटा, मेरे यार  कब समझोगे तुम,  जब हो जाएगा ए पार  जो करना है वह अब करो , अच्छे काम की साथ आगे बढ़ो  रहोगे तुम सबके दिलमें, क्योंकि, कर्म ही सब है  क्या रखा है नाम में। परिये अगले कविता (नेताजी) परिये पिछले कविता (पहचानो मुझे)

पहचानो मुझे कविता| A Poem on New Year

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  पहचानो मुझे पहचाना मुझे  मैं कौन हूं  हर साल में एक दिन  में आता हूं।  लेकर बहुत आताहूं तुम सबके लिए  बहुत सारी खुशियां  मेरे साथ झुम उठता हे  सारा दुनिया।  हालही में कुछ महीने पहले,  मैं आया था  इस जग में खुशियों की बरसात,  में लाया था  अभी भी याद नहीं आया  दिमाग में थोड़ा जोर डालो  तुमने कितना मौज किया मेरे आनेपर  अबतो पहचानो  भूलने की बीमारी तुम्हारा जाएगा नहीं  इसलिए तो तुम इंसान हो,भगवान नहीं। मैं ही बता देता हूं अब  क्या कहना और  मैं हूं १ जनवरी  जब तुम कहते हो "हैप्पी न्यू ईयर"  नए साल की बधाई सबको देतेहो। परिये अगले कविता (एक आवाज) परिये पिछले कविता (मात्री भाषा)

मात्री भाषा कविता| A Poem on Mother Tongue

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  मात्री भाषा  इंसान तो बहुत देखा  पर मा जैसा कोई नहीं  भाषा तो बहुत सारा हे पर हिंदी जैसा एक भी नहीं। इस भाषा में है जिनेका आस इसे सुनके, परके और लिखके दिलमें मिलताहे खुशी।  जिंदगी में आताहे मीठास  क्योंकि, मातृभाषा होताहे बहुत खास। यह जिंदगी में आताहे सबसे पहले  मा की आंचल की तहरा हरवक्त देताहे साथ  इसलिए सब केहताहे  हिंदी का कुछ और ही है बात। तुम मिललो जितने इंसान से  हर कोई अपने नहीं होता  तुम सीखलो जितने भाषा  पर वह नहीं मातृभाषा जैसा।  मातृभाषामें मिलता है बह खुशि जिसका कोई विकल्प नहीं है  यह है सबसे प्यारा  इसका कोई तोड़ नहीं है। परिये अगले कविता (पहचानो मुझे) परिये पिछले कविता (२६ जनवरी)

२६ जनवरी कविता| A Poem on 26th January

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 २६ जनवरी आज का दिन इस देश के लिए खास है  क्योंकि, इसका एक गौरवमई इतिहास है। चलो तुम सबको बताएं इसके बारे में  पता चलेगा तुम्हें क्या हो रहा था इस देश में। यह था एक खुशहाल देश, एक सोने की खान,  जिसे लूटने आया मुगल- पठान।  बहुत सारे आए, कुछ रह गए, कुछ लूट कर चला गया पर, इसका कुछ ना कर पाया।  यह तो था एक सागर जैसी  जिससे थोड़ीसी पानी लेलो और डालदो , इसे कोई फर्क नहीं पड़ती, फर्क नहीं पड़ती। पर, उसके बाद आया एक भयानक राक्षस  जिसे सब कहता है ब्रिटीष। बह तो था इन सबका बाप,  वह इस देशसे सबको कर दिया साफ।  अकेला बोराज करने लगा  उसके आगे कोई ना टिका, कोई ना टिका।  बुद्धि भी था उनका बहुत तेजधार  इस देश में छागया अंधकार। लूटमारी, खून खराबी, मारपीट-कुछभी ना छोड़ा  वह सब लेने लगा, जो था हमारा। देशवासीने बोला अब हुया बहुत  देश छोड़ो या होगा तुम सबका मौत। लाहोरमे १९३० सालको इस दिन  सबने लिया फैसला, देश होगा आजाद।  एक तेजका आंग चारों ओर दौड़ने लगा  राक्षक ब्रिटीष तब डरने लगा।  बह दिखाने लगा अपनी बुद्धि और सेना का जोर  पर, हमभी थे अटल नहीं दिया छोड़।  थोड़ा समय लगा पर आया बह दिन  ही देश हमारा हुआ आजाद

सफलताकी राह कविता| A Poem To Achieve Success.

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  सफलताकी राह  सफलता की राह  नहीं होता है सरल,  वह लोगोंही सिर्फ चल सकताहे मजबूत होताहे जिसका मनोबल। पर्वतके जैसा अटल है वह,  मुश्किल जितना प्रबल हो,  अटल हौसलेसे बह करताहे सामना  जिंदगी में बहुत हारता कभीना। तूभी अगर होना चाहताहे सफल  मजबूत करले अपने मनोबल  रास्ता तेरा ना होगा सरल  पर यही बनाएगा तुझे सफल!  उपरबाले परीक्षा लेती है उन लोगोंका  कोई मकसद होता है जिसका जिंदगीका  समझले ए बोल रहा है  जिसका आगे तेरा जिंदगी है। इसलिए रख इतना हौसला,  रगों में भरले इतना मनोबल,  रास्ता जितना भी कठिन हो  तू सर ऊंचा करके चल, और हो जाए सफल, हो जाए सफल। परिये अगले कविता (२६ जनवरी) परिये अगले कविता (वनभोजन)

वनभोजन कविता| A Poem on Celebration of Picnic

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  वनभोजन  बहुत साल बाद मेरा  दिल ने किया पुराना ऐसा घरक धरक!  क्योंकि, सतरा साल बाद मैंने  फिरसे किया आज वनभोजन।  आइटेम कम हो सकताहे  पर, मजा कम नहीं था,  आज मुझे फिर पुराने दिन याद आगया। सबने मिलकर मौज किया  क्या बहुत सारे बातें भी  हम सबने आज बनाया  एक खुशियोंकी यादे जिंदगी की।  इस पलने दी सबको एक शिक्षक जिंदगी की, अगर इंसान सच्चा हो,  उसे  जरूर मिलताहे खुशी। बदल गया हर दोस्त बीतेहुए बचपन की  आज वह सब बहुत याद आताहे  जिन सबके साथ मैंने छाटेमें बनभोजन की। वह याद और ए याद  समय में सिर्फ अंतर है  सतरा साल बाद मैंने आज  फिर से बनभोजन कियाहे। परिये अगले कविता (सफलताकी राह) परिये पिछले कविता (नया साल)

नया साल कविता| A Poem on New Year.

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  नया साल  पुराना साल बीत गया  नया साल आया रे, साथ बह लेके आया  बहुत सारे खुशियां हम सबके लिये। चलो हम उसे अपनाले, जिंदगी उसके साथ चले, वह बिठाएगा हम लोगोंको  उन्नति की सिंहासनमे। वह तो है सबसे अच्छा  सच्चा राह बह सबको दिखाएगा,  तुम्हें सिर्फ उसे अपनानाहे उनके ऊपर विश्वास रखनाहे, वह दिखाएगा तुम्हें जो रास्ता,  देगा तुम्हें जो ख़ुशी, मिट जाएगा सब फासला  बन जाएगा तुम्हारे जिंदगी। हर साल को करताहे याद हमें  सोचताहे क्या हम सब हे खुशीमें? लेकर आता है वह बहुत कुछ  इसलिए कि, हम सब हो जाए खुश। परिये अगले कविता (वनभोजन) परिये अगले कविता (होंसला)

होंसला कविता| A Poem to Increase Self-confidence.

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  होंसला एतो हे एक बहुमूल्य नाम  हिम्मतवालोंके साथ रहताहे हरदम  किसीभी परिस्थिति में रहताहे डटके  इसे हरादे ऐसा दम है किसमें! जिंदगी की सफर में वह देता है साथ उनका  जो रखता है साहस, करता है सामना  हर मुसीबतोंका।  वह ढूंढ लेते हैं अंधेरे में रोशनी  हमेशा बह जीताहै जिंदगी। किसीका आगे ना झुकता है वह  परिस्थिति जैसी भी हो,  हमेशा डटकर रहता है वह! तू भी अगर बनना चाहता है बादशा  अपने जिंदगीकी?  हौसला कभी ना छोड़ना, तुझे मिलेगा खुशियों। एहि ले जाएगा तुझे सफलताके उस मुकामपर  जो ए तेरा लक्ष, तेरा जिंदगी! परिये अगले कविता (नया साल) परिये पिछले कविता (इरादा)

इरादा कविता| A Poem on Aim.

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  इरादा  तु हारना मत, तु रुकना मत,  जिंदगी की नियम है चलना  तु चलतेही रहना, तू चलतेही रहना! जिंदगी लेतिहे  परीक्षा उन लोगोंकी  जो होना चाहताहै बादशा अपने जिंदगीकी।  करना चाहता है कुछ अच्छा  अपने देश की! तू गिरेगा, पर उठ जाना तू चोट पाएगा, पर  मत रुकना  तू जरूर करेगा कुछ अच्छा  दिल है तेरा सच्चा  इरादा है तेरा अच्छा  तु चलते जा, तु चलते जा। परिये अगले कविता (होंसला) परिये पिछले कविता (मैं निकल परा)

मैं निकल परा कविता| A Poem on New Beginning.

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मैं निकल परा  मैं निकल परा जिंदगी की तलाश में  बह हे कहां नाजाने  मिलेगी वह कब मुझे  है इश्बर, यही विनती है तुझसे कम कर दो ए इंतजार की घड़ी  अब बता दो मुझे, वह कैसी दिखती!  जिंदगी उसके बिन अधूरा लगें  अब उससे मिला दो, यही विनती है तुझसे। वहभी क्या याद करती होगी मुझे ढूंढती होगी, बिनती करती होगी तुझसे! या खुश वह मेरे बिन?  मुझे छोड़कर कैसे करती होगी उसकी दिन? ए खुदा, अबतो कुछ कर!  कुछ अच्छा लगता नहीं अब उसे छोड़कर! जिंदगी अकेले बहुत काट लिया  अब उसे छोड़कर जाए नहीं जिया! और कितना बिनती करु तुझसे  मिला दे तू अब मुझे उससे!  अगर तु सचमें मुझे अपना बेटा मानतेहो  कल जरूर बता देना,कहां है वह! परिये अगले कविता (इरादा) परिये पिछले कविता (लक्ष)